सोमवार, 22 दिसंबर 2008

आबकारी नीतियों में हो सकता बदलाव

Dec 21, 11:23 pm
जयपुर, चुनावों के दौरान पिछली भाजपा सरकार की आबकारी नीति एक बड़ा मुद्दा थी व कांग्रेस ने इसको लेकर सरकार पर हमले किए थे। नई सरकार इस आबकारी नीति को जल्दी ही बदलना चाहेगी, लेकिन यह काम काफी कठिन होगा। शराब पर आबकारी कर के माध्यम से सरकार को सर्वाधिक 17 सौ करोड़ रुपये की वार्षिक आय होती है। इससे शराब नीति को ढंग से बनाया गया, उसमें राज्य में शराब की दुकानों में काफी वृद्धि हो गई। सामान्यत: अगले वित्ता वर्ष के लिए शराब के ठेकों के आवंटन का काम जनवरी में आरंभ हो जाता है व फरवरी तक अधिकांश लाइसेंस आदि जारी कर दिए जाते हैं। चूंकि वर्तमान स्थिति को बदलने के लिए वर्तमान शराब नीति में आमूलचूल परिवर्तन किया जाना जरूरी है। इसलिए इस काम को अगर तुरंत करने की दिशा में कदम नहीं उठाए गए तो सरकार के पास अपनी नई आबकारी नीति को लागू करने का अधिक समय नहीं होगा। चूंकि वर्तमान सरकार नीतिगत निर्णय केवल विश्वास का मत प्राप्त करने के बाद ही ले सकेंगी, इसलिए यह समय अवधि और भी कम हो जाएगी। चूंकि लोकसभा चुनाव अप्रैल में होने की संभावना है, इसलिए आचार चुनाव संहिता फरवरी के अंत तक लागू हो जाएगी। ऐसी स्थिति में सरकार कोई बड़ा नीतिगत फैसला नहीं कर पाएगी। समझा जाता है नई सरकार ने विभाग के अधिकारियों को ऐसी नई आबकारी नीति के प्रस्ताव तैयार करने को कहा है जिससे शराब की बिक्री को प्रोत्साहन नहीं मिलता हो, पर इसके साथ सरकार को यह भी देखना है कि इस मद से होने वाली आय ज्यादा कम नहीं हो। चूंकि बिक्री तथा ऐसे करों की दरों में लगातार कमी से राजस्व में कमी आती दिख रही है, इसलिए सरकार आबकारी मद के राजस्व आय में ज्यादा कमी करने की स्थिति में नहीं है।

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