नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज गुर्जर आंदोलन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को पहुंचे नुकसान पर सख्त टिप्पणी की है। राजस्थान के गुर्जर आंदोलन समेत देश भर में हुए हिंसक आंदोलनों, हडतालों और प्रदर्शनों के दौरान सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आंदोलनों के दौरान होने वाले नुकसान की भरपाई संबंधित संस्था अथवा नेताओं को ही करनी चाहिए। अदालत ने साफ किया कि जिसके द्वारा नुकसान होता है उसे ही हर्जाना भी भरना होगा।
जनहित याचिका में नुकसान की भरपाईके अलावा आंदोलनों के दौरान होने वाली गिरफ्तारियों पर भी सवाल खडे किए गए हैं। याचिका में कहा गया है कि आमतौर पर आंदोलनों के दौरान कार्यकर्ताओं को ही गिरफ्तार किया जाता है, जबकि उन्हें भडकाने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती। सुप्रीम कोर्ट ने इस संदर्भ में राज्यों से जवाब मांगा है। इस मामले की सुनवाई अब मार्च में होगी।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल मई-जून में भडके गुर्जर आंदोलनों में सार्वजनिक संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा था। आरक्षण की मांग कर रहे गुर्जर प्रदर्शनकारियों ने जगह-जगह पर रेल की पटरियों को उखाड फेंका था और कई दिनों तक रेलगाडियों का आवागमन भी बंद रहा, जिसस रेलवे को करोडों रूपए का नुकसान हुआ।
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